प्रतिकार -08-Jan-2025
प्रतियोगिता हेतु
दिनांक: 08/01/2025
प्रतिकार
प्रतिकार एक आग है
जो अंदर ही अंदर सुलगती है
उसके विरुद्ध जो हमें स्वीकार्य नहीं।
उसके विरुद्ध जो हमारे हित में नहीं
उसके विरुद्ध जो अनुचित है।
प्रतिकार अन्याय के समक्ष
झुकने के खिलाफ है।
प्रतिकार जो पसंद नहीं
उसके विरुद्ध विचार है।
प्रतिकार की आवाज़ को कोई
दबा नहीं सकता।
उठते हुए शोलों को
कोई बुझा नहीं सकता।
ये वो अंगारे हैं जो
अन्यायी को जलाकर भस्म कर देते हैं।
ये वो शांति है जो
आने वाले तूफान का संकेत है।
उठो , जागो, आगे बढ़ो
अपने अधिकारों की रक्षा करो।
मत डरो, मत रोको
जो अपराधी है उसको सजा दो।।
प्रतिकार हर उलझे हुए प्रश्न का हल है,
जो सत्य के लिए लड़ता है,
जो सम्मान के लिए लड़ता है
जो न्याय के लिए लड़ता है।।
शाहाना परवीन'शान'...✍️
madhura
24-Jan-2025 05:27 AM
👌👌👌👌
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Anjali korde
23-Jan-2025 05:54 AM
👌👌👌
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kashish
22-Jan-2025 01:05 PM
fabulous
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